जोधपुर की 4 ट्रेनें बनेंगी 'मोबाइल बिलबोर्ड':मरुधर से लेकर रणथंभोर एक्सप्रेस पर अब दिखेंगे विज्ञापन, रेलवे की 'एक्स्ट्रा इनकम' स्कीम से 60 लाख होगी कमाई
रेलवे अब अपनी कमाई का जरिया सिर्फ यात्री टिकट तक सीमित नहीं रखेगा। राजस्व बढ़ाने के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल ने अपनी 'नॉन-फेयर रेवेन्यू' (NFR) पॉलिसी के तहत एक बड़ा कदम उठाया है। जोधपुर मंडल से संचालित चार प्रमुख जोड़ी ट्रेनों को अब चलते-फिरते विज्ञापनों (मोबाइल बिलबोर्ड) के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इन ट्रेनों के कोचों पर विनाइल रैपिंग के जरिए बड़ी कंपनियों की ब्रांडिंग की जाएगी, रेलवे ने सालाना करीब 60 लाख रुपए की एक्स्ट्रा इनकम 'नॉन-फेयर रेवेन्यू' जुटाने का लक्ष्य रखा है। क्यों चुनी गईं ये 4 ट्रेनें? (रूट का कॉमर्शियल गणित) सीनियर डीसीएम हितेश यादव के अनुसार, जिन ट्रेनों का चयन किया गया है, वे न केवल लंबी दूरी की हैं, बल्कि देश के प्रमुख धार्मिक, पर्यटन और व्यापारिक शहरों को जोड़ती हैं। यही कारण है कि विज्ञापनदाताओं के लिए ये 'हॉट प्रॉपर्टी' हैं: रणथंभोर एक्सप्रेस का टेंडर जारी, बाकी कतार में सीनियर डीसीएम यादव ने बताया कि रेलवे की इस नीति के तहत रणथंभोर सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12466/64) के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और टेंडर जारी हो चुका है। वहीं, बाकी तीन ट्रेनों- बाड़मेर-ऋषिकेश, जोधपुर-दिल्ली सराय रोहिल्ला और मरुधर एक्सप्रेस के लिए प्रक्रिया अंतिम चरण में है। यात्री सुविधाओं पर खर्च होगा 'एक्स्ट्रा पैसा' रेलवे ने स्पष्ट किया कि विनाइल रैपिंग से कोचों की खूबसूरती तो बढ़ेगी ही, साथ ही मेंटेनेंस (पेंट आदि) का खर्च भी बचेगा। इस 'नॉन-फेयर रेवेन्यू' से होने वाली पूरी कमाई का उपयोग सीधे तौर पर स्टेशन के विकास और यात्री सुविधाओं को अपग्रेड करने में किया जाएगा।
रेलवे अब अपनी कमाई का जरिया सिर्फ यात्री टिकट तक सीमित नहीं रखेगा। राजस्व बढ़ाने के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल ने अपनी 'नॉन-फेयर रेवेन्यू' (NFR) पॉलिसी के तहत एक बड़ा कदम उठाया है। जोधपुर मंडल से संचालित चार प्रमुख जोड़ी ट्रेनों को अब चलते-फि
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इन ट्रेनों के कोचों पर विनाइल रैपिंग के जरिए बड़ी कंपनियों की ब्रांडिंग की जाएगी, रेलवे ने सालाना करीब 60 लाख रुपए की एक्स्ट्रा इनकम 'नॉन-फेयर रेवेन्यू' जुटाने का लक्ष्य रखा है।
क्यों चुनी गईं ये 4 ट्रेनें? (रूट का कॉमर्शियल गणित)
सीनियर डीसीएम हितेश यादव के अनुसार, जिन ट्रेनों का चयन किया गया है, वे न केवल लंबी दूरी की हैं, बल्कि देश के प्रमुख धार्मिक, पर्यटन और व्यापारिक शहरों को जोड़ती हैं। यही कारण है कि विज्ञापनदाताओं के लिए ये 'हॉट प्रॉपर्टी' हैं: