रतनगढ़ में जाट बौद्धिक मंच ने 400 प्रतिभाओं को सम्मानित:विधायक पूसाराम गोदारा ने शिक्षा को प्रगति की नींव बताया
चूरू के रतनगढ़ में जाट बौद्धिक मंच ने एक प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 400 से अधिक मेधावी विद्यार्थियों और नवनियुक्त सरकारी कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। समारोह की अध्यक्षता सुल्तान सिंह भींचर ने की, जबकि रतनगढ़ विधायक पूसाराम गोदारा मुख्य मेहमान थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। जाट बौद्धिक मंच के अध्यक्ष मुकंदाराम नेहरा ने स्वागत भाषण दिया। मुख्य मेहमान विधायक पूसाराम गोदारा ने मंच के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षा ही सामाजिक और आर्थिक प्रगति की सबसे मजबूत नींव है। सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक महेंद्र चौधरी ने निरंतर परिश्रम, अनुशासन और नैतिक मूल्यों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विद्यार्थियों से लक्ष्य तय कर कठिन परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास बनाए रखने का आह्वान किया। विशिष्ट वक्ता भंवरलाल डूडी (संयुक्त निदेशक) और मोहनलाल डूडी (मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली, सरकारी सेवाओं में अवसरों और ग्रामीण प्रतिभाओं की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। मोटाराम महिया, गरिमा चौधरी (वैज्ञानिक अधिकारी), कुलदीप सिंह ऐचरा (डॉक्टर), मोहिनी देवी और पवन सेवदा ने भी विचार व्यक्त किए। समारोह में कक्षा 10वीं, 12वीं और स्नातक स्तर पर 85 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त, नवनियुक्त सरकारी कार्मिकों और मेडिकल व आईआईटी में चयनित 400 से अधिक प्रतिभाओं को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में सुल्तान सिंह भींचर ने कहा कि प्रतिभाओं का सम्मान समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और आने वाली पीढ़ी को बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। इस अवसर पर जाट बौद्धिक मंच के सचिव महेंद्र डूडी, कोषाध्यक्ष रामचंद्र ऐचरा सहित नानूराम बिरडा, गोपीचंद खीचड़, सोहनलाल चबरवाल, दुर्गाराम भारी, विक्रमपाल थालौड़, गोविंदराम ढाका, भागीरथ खीचड़, भंवरलाल पूनिया, फूलचंद मील, सज्जन कुमार बाटड़, महेंद्र कुमार हुड्डा, दलीप सिहाग, बजरंग बिस्सू, हरलाल डूडी, रामकृष्ण थालौड़, नानूराम टांडी, बाबूलाल मुंदलिया और रेवंतराम डूडी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन खींवाराम ख्यालिया और सुभाष नैण ने किया।