अमृत निवाला रसोई, 45 महीने में 21 लाख को करवाया भोजन
वर्ष 2022 में कोरोना में लोगों के लिए खाने की उपलब्धता एक बड़ी समस्या थी। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिनके पास कोई काम नहीं था। हंसराज अग्रवाल ने सीकर रोड स्थित भागीरथ विहार में ऐसी रसोई की स्थापना की, जहां लोगों को शुद्ध और पर्याप्त भोजन मिल सके। उन्होंने 10 हजार स्क्वायर फीट में रसोई शुरू की, जिसका नाम ‘अमृत निवाला'' रखा। इस रसोई से आमजन के लिए खाना शुरू किया। इसकी खासियत है कि यह रसोई हाइजेनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसमें शुद्धता और पौष्टिकता का पूरा ध्यान रखा जाता है। ओजोन रेज के साथ मशीन से सब्जियों की सफाई की जाती है, ताकि उनसे पेस्टिसाइड को दूर किया जा सके। मशीनों से खाना पकाया जाता है। हंसराज अग्रवाल ने बताया कि इस रसोई में 45 महीनों में 21 लाख से ज्यादा लोग खाना खा चुके हैं। इस रसोई में रोजाना करीब 1500-1800 लोग खाना खाते हैं। शुरुआत में सालभर से भी ज्यादा समय तक निशुल्क भोजन कराया गया, लेकिन जूठन में भोजन ज्यादा खराब होने के कारण बाद में इसका मात्र 10 रुपए शुल्क रखा गया। इसके बाद जूठन की मात्रा में एक दम से कमी आ गई। साथ ही भोजन के लिए आने वालों में नौकरीपेशा, स्टूडेंट्स और मध्यमवर्गीय लोगों की संख्या में भी इजाफा हो गया। यह 10 रुपए भी अनिवार्य शुल्क नहीं है, जो नहीं देना चाहे उसे भी भोजन कराने के बाद ही भेजा जाता है। उनके फैमिली के बर्थडे, एनिवर्सरी यहीं सेलिब्रेट किए जाते हैं। उनके पूर्वज राजस्थान के झुंझुनूं से निकल कर झारखंड में बस गए थे। उन्होंने वर्ष 1992 में जमशेदपुर से आकर जयपुर में इंडस्ट्री शुरू की। जैतपुरा औद्योगिक क्षेत्र में ऐसी फैक्ट्री लगाई, जहां भारतीय सेना के लिए डिफेंस इंसुलेशन प्रोडक्ट तैयार किया जाता है। यह सेना के राडार में काम आता है। इस तरह का प्रोडक्ट बनाने वाले राज्य के पहले उद्यमी हैं। People of Jaipur
वर्ष 2022 में कोरोना में लोगों के लिए खाने की उपलब्धता एक बड़ी समस्या थी। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिनके पास कोई काम नहीं था। हंसराज अग्रवाल ने सीकर रोड स्थित भागीरथ विहार में ऐसी रसोई की स्थापना की, जहां लोगों को शुद्ध और पर्याप्त भोजन मिल सके। उ
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इसकी खासियत है कि यह रसोई हाइजेनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसमें शुद्धता और पौष्टिकता का पूरा ध्यान रखा जाता है। ओजोन रेज के साथ मशीन से सब्जियों की सफाई की जाती है, ताकि उनसे पेस्टिसाइड को दूर किया जा सके। मशीनों से खाना पकाया जाता है। हंसराज अग्रवाल ने बताया कि इस रसोई में 45 महीनों में 21 लाख से ज्यादा लोग खाना खा चुके हैं। इस रसोई में रोजाना करीब 1500-1800 लोग खाना खाते हैं। शुरुआत में सालभर से भी ज्यादा समय तक निशुल्क भोजन कराया गया, लेकिन जूठन में भोजन ज्यादा खराब होने के कारण बाद में इसका मात्र 10 रुपए शुल्क रखा गया। इसके बाद जूठन की मात्रा में एक दम से कमी आ गई। साथ ही भोजन के लिए आने वालों में नौकरीपेशा, स्टूडेंट्स और मध्यमवर्गीय लोगों की संख्या में भी इजाफा हो गया। यह 10 रुपए भी अनिवार्य शुल्क नहीं है, जो नहीं देना चाहे उसे भी भोजन कराने के बाद ही भेजा जाता है।