दौसा में कड़ाके की ठंड, हल्का पाला जमा:न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस, फसलों में नुकसान की आशंका से किसान चिंतित
दौसा जिले में बीते एक सप्ताह से कड़ाके की ठंड का दौर जारी है। तापमान में लगातार गिरावट के चलते न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। सुबह के समय लोग ठंड से बचाव के लिए अलाव का सहारा लेते नजर आ रहे हैं, जबकि शाम ढलते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है। ठंड के चलते जनजीवन प्रभावित हो रहा है। मौसम विभाग के अनुसार जिले में 31 दिसंबर तक न्यूनतम तापमान 5 से 11 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 21 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रह सकता है। हालांकि रात का तापमान 5 डिग्री के आसपास स्थिर रहने से ठंड का असर लगातार बना रहेगा और लोगों को फिलहाल राहत मिलने की संभावना कम है। तापमान में आई गिरावट के साथ जिले में शीतलहर का असर भी देखने को मिल रहा है। इसके चलते खेतों में खड़ी फसलों पर हल्का पाला जमने लगा है। इससे रबी फसलों के साथ-साथ सब्जियों और बागवानी फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका बनी हुई है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पाले से होने वाले नुकसान से बचाव के लिए किसान समय रहते आवश्यक उपाय अपनाएं तो फसलों को काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकता है। सही समय पर किए गए उपाय फसलों, सब्जियों और पौधों को ठंड के दुष्प्रभाव से बचाने में मददगार साबित होते हैं। अगले दो दिन में पाला पड़ने की संभावना कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, दो से तीन दिन तक लगातार ठंडी हवाएं चलने और तापमान में गिरावट होने से फसलों व उद्यानिकी फसलों पर पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। एक बार पाला पड़ने के बाद अगले दिनों में भी इसका खतरा बना रहता है। कड़ाके की ठंड में रात के समय जब तापमान शून्य डिग्री या उसके आसपास पहुंच जाता है, तो ओस की बूंदें बर्फ में बदल जाती हैं। यही पाला फसलों और पेड़-पौधों को झुलसा देता है। इससे बचाव के लिए विशेषज्ञ राख का घोल छिड़कने, पॉलीथीन मल्चिंग करने और हल्की सिंचाई करने की सलाह दे रहे हैं। इन उपायों से पाले का प्रभाव कम होता है और फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है।
दौसा जिले में बीते एक सप्ताह से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। यहां न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। सुबह के वक्त ठंड से बचाव के लिए लोग अलाव का सहारा ले रहे हैं तो शाम ढलते ही सड़कें सूनी हो जाती हैं। मौसम विभाग की मानें तो 31 दिसंबर तक न्यूनतम तापमान 5 से 11 डिग्री और अधिकतम तापमान 21 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। हालांकि रात का पारा 5 डिग्री सेल्सियस के करीब स्थिर रहने से ठंड का असर बरकरार रहेगा। वहीं तापमान में गिरावट साथ शीतलहर का असर भी देखने को मिल रहा है। इसके कारण फसलों पर हल्का पाला जम रहा है। जिससे खेतों में खड़ी फसलों और बागवानी को नुकसान की आशंका बनी हुई है। पाले से होने वाले नुकसान और इससे बचाव को लेकर किसान कृषि विशेषज्ञों द्वारा बताये उपाय अपनाकर फसल, सब्जियां और पौध का बचाव कर सकता है। इससे काफी हद तक फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं। ऐसे पड़ता है पाला और बचाव के उपाय दो तीन दिनों से लगातार ठंडी हवाओं के चलने से तापमान में गिरावट होने लगती है, जिसके कारण फसलों एवं उद्यानिकी फसलों पर पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। एक बार पाला पड़ने के बाद आगे भी पाला पड़ने की संभावना बनी रहती है। कड़ाके की ठंड में पाला जमना यानी रात के समय तापमान का शून्य डिग्री सेल्सियस या उसके आसपास होने पर ओस की बूंदों का बर्फ में बदलना है, जिससे फसलें और पेड़-पौधे झुलस जाते हैं। इससे फसलों को बचाने के लिए राख का घोल छिड़कना, पॉलीथीन मल्चिंग और हल्की सिंचाई करना फायदेमंद है।