50 हजार से 3 लाख तक आबादी के 47 शहरों में श्रीगंगानगर नप का स्वच्छता में 35वां स्थान
SOURCE:Dainik Bhaskar Tech
श्रीगंगानगर| प्रदेश स्तरीय नवंबर की स्वच्छता रैंकिंग में नगरपरिषद 42 में से 35वें स्थान पर है। स्वायत शासन विभाग की ओर से करवाए गए स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रदेश में 50 हजार से 3 लाख तक की जनसंख्या वाले निकायों की श्रेणी में यह स्थिति सामने आई है। सर्वे में पहले स्थान पर भरतपुर, दूसरे पर जैसलमेर व तीसरे पर सीकर निकाय रहा है। नवंबर में स्वच्छता एप पर 66 शिकायतें मिलीं, निस्तारण 6 का ही हुआ। वर्ष 2021 से 2026 तक 1795 घरों में शौचालय निर्माण के टारगेट के सामने केवल 7 ही निर्माण करवाए गए। सॉलिड वेस्ट निस्तारण, सार्वजनिक शौचालय और कम्युनिटी शौचालय के उपयोग, यूजर चार्ज कलेक्शन, जन जागरूकता, स्वच्छता पर व्यय और सिंगल यूज प्लास्टिक की जब्ती जैसे अहम मानकों में श्रीगंगानगर को एक भी अंक नहीं मिला है। 100 अंकों में नप को मात्र 20.12 प्रतिशत अंक ही मिले हैं। रैंकिंग के अनुसार घरेलू कचरा संग्रहण, गार्बेज निस्तारण के मानकों में शत-प्रतिशत अंक भी मिले हैं। 1. शहर में प्रतिदिन करीब 100 टन कचरा होता है। इसे चक 6-ए छोटी में डंपिंग प्वाइंट पर डाला जा रहा है। गीले व सूखे कचरे का अलग निस्तारण नहीं होता है। 2. नेतेवाला में ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट 4 वर्षों से लोगों के विरोध के कारण नहीं लग पाया है। परिषद को 10 बीघा जमीन का कब्जा भी मिला हुआ है। जिम्मेदार बोले-कार्कस प्लांट नहीं होने का हो रहा नुकसान आयुक्त रविंद्र यादव ने बताया कि कचरा निस्तारण व कार्कस प्लांट नहीं होने का सीधा नुकसान स्वच्छता सर्वेक्षण पर हो रहा है। इन दोनों कमियों को दूर करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। शहर में स्ट्रीट लाइटों के सुधार, घर-घर कचरा संग्रहण, अस्थायी कचरा प्वाइंट हटाने, पशुओं को पकड़ने की कार्रवाई जारी है। केंद्र सरकार की ओर से 17 जुलाई को जारी स्वच्छता सर्वेक्षण में देशभर में 50 हजार से 3 लाख तक की आबादी वाले 820 शहरों में से नगरपरिषद की 758वीं रैंक थी। जबकि प्रदेश स्तर पर 241 शहरों में से श्रीगंगानगर का 216 वां स्थान था। वर्ष 2023 के सर्वेक्षण में भी नगरपरिषद को केवल 19.42 प्रतिशत अंक ही मिले थे। शहर में ऐसे कई जगह पर कचरे के ढेर पड़े हैं।
श्रीगंगानगर| प्रदेश स्तरीय नवंबर की स्वच्छता रैंकिंग में नगरपरिषद 42 में से 35वें स्थान पर है। स्वायत शासन विभाग की ओर से करवाए गए स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रदेश में 50 हजार से 3 लाख तक की जनसंख्या वाले निकायों की श्रेणी में यह स्थिति सामने आई है। सर्
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नवंबर में स्वच्छता एप पर 66 शिकायतें मिलीं, निस्तारण 6 का ही हुआ। वर्ष 2021 से 2026 तक 1795 घरों में शौचालय निर्माण के टारगेट के सामने केवल 7 ही निर्माण करवाए गए। सॉलिड वेस्ट निस्तारण, सार्वजनिक शौचालय और कम्युनिटी शौचालय के उपयोग, यूजर चार्ज कलेक्शन, जन जागरूकता, स्वच्छता पर व्यय और सिंगल यूज प्लास्टिक की जब्ती जैसे अहम मानकों में श्रीगंगानगर को एक भी अंक नहीं मिला है। 100 अंकों में नप को मात्र 20.12 प्रतिशत अंक ही मिले हैं। रैंकिंग के अनुसार घरेलू कचरा संग्रहण, गार्बेज निस्तारण के मानकों में शत-प्रतिशत अंक भी मिले हैं। 1. शहर में प्रतिदिन करीब 100 टन कचरा होता है। इसे चक 6-ए छोटी में डंपिंग प्वाइंट पर डाला जा रहा है। गीले व सूखे कचरे का अलग निस्तारण नहीं होता है। 2. नेतेवाला में ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट 4 वर्षों से लोगों के विरोध के कारण नहीं लग पाया है। परिषद को 10 बीघा जमीन का कब्जा भी मिला हुआ है।
जिम्मेदार बोले-कार्कस प्लांट नहीं होने का हो रहा नुकसान आयुक्त रविंद्र यादव ने बताया कि कचरा निस्तारण व कार्कस प्लांट नहीं होने का सीधा नुकसान स्वच्छता सर्वेक्षण पर हो रहा है। इन दोनों कमियों को दूर करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। शहर में स्ट्रीट लाइटों के सुधार, घर-घर कचरा संग्रहण, अस्थायी कचरा प्वाइंट हटाने, पशुओं को पकड़ने की कार्रवाई जारी है।
केंद्र सरकार की ओर से 17 जुलाई को जारी स्वच्छता सर्वेक्षण में देशभर में 50 हजार से 3 लाख तक की आबादी वाले 820 शहरों में से नगरपरिषद की 758वीं रैंक थी। जबकि प्रदेश स्तर पर 241 शहरों में से श्रीगंगानगर का 216 वां स्थान था। वर्ष 2023 के सर्वेक्षण में भी नगरपरिषद को केवल 19.42 प्रतिशत अंक ही मिले थे। शहर में ऐसे कई जगह पर कचरे के ढेर पड़े हैं।