स्कूल में 58-60साल के स्टूडेंट्स ने ‘यस-सर’ कहकर दी हाजिरी:53 साल पहले 10वीं साथ पढ़ी थी; टीचर ने पढ़ाया, एक-दूसरे को लगाया गले
पाली जिले के तखतगढ़ में सोमवार को 50 से 60 साल की उम्र के पूर्व छात्र फिर से स्कूल की कक्षा में बैठे और “यस सर” कहते हुए हाजिरी लगवाते नजर आए। किसी के बाल सफेद हो चुके थे, किसी के घुटनों में दर्द था और किसी के सिर से बाल गायब थे, लेकिन जोश और उत्साह बिल्कुल बच्चों जैसा था। संघवी केसरी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में सत्र 1972-73 के छात्रों का 53 साल बाद मिलन हुआ, जिसमें पढ़ाई के दिनों की यादें फिर से जीवंत हो उठीं। पूर्व शिक्षक एवं सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी दीपाराम जीनगर ने कहा कि ऐसे मिलन समारोहों से जहां पुरानी यादें ताजा होती हैं, वहीं शिष्यों की उन्नति देखकर गुरु का मान भी बढ़ता है। उन्होंने सभी पूर्व छात्रों की उपलब्धियों की सराहना की। 53 साल पहले साथ पढ़े 24 छात्र हुए शामिल यह मिलन समारोह स्कूल प्रबंध समिति की ओर से आयोजित किया गया था। इसमें सत्र 1972-73 में 10वीं कक्षा में साथ पढ़ने वाले 24 पूर्व छात्र शामिल हुए। करीब 53 साल पहले जिन कक्षाओं में पढ़ाई की थी, उन्हीं कक्षाओं में बैठकर सभी ने पुरानी यादों को ताजा किया। पहचान में लगी मशक्कत, फिर गले मिले दोस्त आधी सदी बाद जब पुराने दोस्त आमने-सामने आए तो शुरुआत में एक-दूसरे को पहचानना आसान नहीं था। समय के साथ बदले चेहरे और व्यक्तित्व के कारण कई बार 5-7 लोगों को मिलकर किसी दोस्त की पहचान करनी पड़ी। जैसे ही पहचान हुई, सभी खुशी से एक-दूसरे के गले मिले और खूब हंसी-मजाक हुआ। स्कूल के दिनों की शरारतें, किस्से और यादें साझा करते हुए माहौल भावुक और आनंद से भर गया। इस मिलन समारोह ने यह साबित कर दिया कि दोस्ती के रिश्ते समय और उम्र की सीमाओं से परे होते हैं। दशकों बाद भी पुराने साथी उसी अपनत्व और गर्मजोशी के साथ जुड़े नजर आए। सेवा कार्य करने का लिया संकल्प मिलन समारोह के दौरान सभी पूर्व छात्रों ने एक स्वर में संकल्प लिया कि वे जहां भी रह रहे हैं, वहां प्रत्येक माह पीड़ित मानवता की सेवा से जुड़ा कोई न कोई कार्य जरूर करेंगे। प्रधानाचार्य बोले - पूर्व विद्यार्थी सम्मान समारोह में आदरणीय दीपाराम जीनगर, जो बाद में जिला शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए, तथा श्री रामाराम जी कोम साहब शामिल रहे, जिन्होंने उस समय विद्यार्थियों को अध्यापन कराया था। इस बैच के समक्ष विद्यालय की ओर से एक निवेदन भी रखा गया कि स्कूल का मुख्य सभा भवन वर्तमान में जर्जर अवस्था में है। यदि 1972–73 बैच द्वारा इस हॉल तथा इसके दोनों ओर स्थित 13 बरामदों का पूर्ण जीर्णोद्धार करवाया जाता है, तो यह विद्यालय के लिए एक अनुपम और स्थायी सहयोग होगा, जिससे आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित व सुदृढ़ भवन का फायदा मिलेगा। समारोह के दौरान पूर्व विद्यार्थी अपने पुराने दिनों को याद कर भावुक हो गए। उन्होंने अपने गुरुजनों से आशीर्वाद लिया और इस स्कूल भवन से जुड़ी स्मृतियों को भावनात्मक रूप से पुनः अनुभव किया। उत्तम सांकरिया, पूर्व विद्यार्थी बोले- हम सभी की इच्छा थी कि पचास साल पुरानी हमारी यादें एक बार फिर तरोताजा हो जाएं, और जो हमने सोचा था, वह कार्यक्रम शत-प्रतिशत सफल रहा। हमारी प्रेरणा यही है कि आने वाली पीढ़ी, वर्तमान में पढ़ रहे विद्यार्थी और आगे आने वाले छात्र भी ऐसे आयोजनों से जुड़ें। नई पीढ़ी को यह संदेश मिले कि अपने विद्यालय और साथियों से जुड़ाव बनाए रखें। शिष्ट की उन्नति से गुरु का मान बढ़ता है पूर्व शिक्षक व सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी दीपाराम जीनगर ने कहा कि पुराने छात्रों के मिलन समारोह से जहां पुरानी यादें ताजा होती हैं, वहीं शिष्य की उन्नति से गुरु का मान भी बढ़ता है। सभी छात्रों ने एक स्वर से संकल्प व्यक्त किया कि वे जहां भी रह रहे हैं, माह में एक बार पीड़ित मानवता की सेवा का कोई भी प्रकल्प जरूर चलाएंगे। ये पूर्व छात्र रहे मौजूद इस स्नेह मिलन समारोह में अशोक एफ. जैन, मदन बलदिया, नवीन जैन, रमेश जैन, भंवरलाल जैन, वागराम कुमावत, जेठाराम कुमावत, सुखराज पी. एल. मिस्त्री, शान्तिलाल पी. एल. मिस्त्री, मांकराम चन्द सुथार, चम्पालाल रावल, रिखबचंद सुथार, चोगाराम कुमावत, गजाराम चौधरी, फूलचन्द जोशी, रामाराम कुमावत, भगवतसिंह बलाना, भेरूसिंह बलाना, भोपालसिंह बलाना, मोहनलाल जैन और नारायणलाल छीपा सहित कई पूर्व छात्र मौजूद रहे।