दावा- 60 प्रतिशत जनसंख्या ओबीसी की, उतना राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिले
पाली. ओबीसी आयोग द्वारा जन संवाद व जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित हुआ। भास्कर संवाददाता | पाली ओबीसी आयोग के अध्यक्ष मदनलाल भाटी की अध्यक्षता में मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में नगरीय निकायों व पंचायतराज संस्थाओं में ओबीसी वर्ग को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने को लेकर संवाद हुआ। इस दौरान जिले के ओबीसी वर्ग से जुड़े विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने दावा किया जिले में 60 फीसदी से अधिक जनसंख्या ओबीसी वर्ग से है। ऐसे में जितनी जनसंख्या है उतने ही प्रतिशत में ओबीसी वर्ग के लोगों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। पंचायती राज एवं नगरीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को लेकर एक समग्र एवं तथ्यात्मक रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत की जा सके। बतौर प्रतिनिधि त्रिलोक चौधरी व पुखराज पटेल ने कहा कि आरक्षण लॉटरी में ओबीसी व एससी वर्ग के लिए आरक्षित वार्डों के पश्चात बचने वाले वार्डों को सामान्य वार्ड शब्द से इंगित किया जाता है। जिस कारण से आमजन द्वारा उन्हें सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित समझ लिया जाता है। जिससे उन वार्डों में ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को दावेदारी करने में परेशानी होती है। लॉटरी के दौरान इसके साथ पर सभी वर्गों के लिए ओपन वार्ड या अनारक्षित वार्ड जैसे शब्दांे का प्रयोग करें। जिले में जनसंख्या के हिसाब से प्रतिनिधित्व मिले। बैठक में एडीएम बजरंगसिंह, नगर निगम आयुक्त नवीन भारद्वाज, पूर्व सभापति महेंद्र बोहरा, सीरवी महासभा के महासचिव भंवर चौधरी, पूर्व उपसभापति मूल सिंह भाटी एवं ललित प्रीतमानी, सुनील भंडारी एवं त्रिलोक चौधरी, पूर्व प्रधान श्रवण कुमार बंजारा सहित कई समाजों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। सिंधी समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग में आरक्षण का लाभ देने के लिए पूर्व किशोर सोमनानी ने आयोग के अध्यक्ष को ज्ञापन दिया। इसी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण लागू होगा : भाटी ने कहा कि आयोग का उद्देश्य राजस्थान में सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के समुचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना है। ओबीसी वर्ग की जिन जातियों का प्रतिनिधित्व कम है उनके संबंध में प्राप्त सुझावों पर आयोग विश्लेषण कर विधिसम्मत रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा। पंचायतीराज एवं शहरी निकायों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण प्रदान करने के लिए वैज्ञानिक, तथ्यपरक एवं व्यावहारिक फार्मूला तैयार कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, जिसके आधार पर प्रदेश में आरक्षण लागू किया जाएगा।