इंजीनियर्स ने बनाई 60 करोड़ की नींद की अवैध दवाई:राजस्थान में 6 महीने से फैक्ट्री, अब तक सप्लाई की करोड़ों की टेबलेट
गुजरात एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड (ATS), स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) जयपुर और भिवाड़ी पुलिस की संयुक्त टीम ने भिवाड़ी (तिजारा-खैरथल) में एक अवैध अल्प्राजोलम फैक्ट्री पर कार्रवाई की है। रविवार (28 दिसंबर) इस कार्रवाई में करीब 60 करोड़ रुपए की प्रतिबंधित दवा अल्प्राजोलम और मिक्स पाउडर जब्त किया गया। पुलिस ने कंपनी के दो मालिक और एक केमिस्ट को गिरफ्तार किया है। दोनों मालिक केमिकल इंजीनियर हैं। अवैध फैक्ट्री में पांच लेवल पर रॉ मटेरियल की प्रोसेसिंग की जाती थी। इसके बाद आगे सप्लाई कर अल्प्राजोलम बनाई जाती थी। अब एजेंसियां पता लगा रही हैं कि कहां से रॉ मेटेरियल लाया जा रहा था और कहां सप्लाई किया जा रहा था। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… यूपी के रहने वाले है तीनों आरोपी तीनों आरोपी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। अंकुश (आगरा), अखिलेश (भदोही) व कृष्णा यादव (बनारस) का रहने वाला है। अंकुश और कृष्णा यादव ने केमिकल इंजीनियरिंग की है। वहीं, अखिलेश ने साइंस में ग्रेजुएशन किया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आराेपियों ने पहले 6 महीने खुशखेड़ा में फैक्ट्री चलाई। इसके बाद भिवाड़ी के औद्योगिक क्षेत्र में एक बिल्डिंग किराए पर ली थी। करोड़ों की अवैध दवा सप्लाई कर चुके हैं अंकुश और कृष्णा ने पहले भी बिजनेस पार्टनर थे। अखिलेश इससे पहले हिमाचल के बद्दी में स्थित एक फार्मा कंपनी में केमिस्ट था।जांच में ये भी सामने आया है कि अखिलेश जयपुर में भी एक दवा कंपनी में भी काम कर चुका है। आरोपियों ने पहले ही बाजार में करीब 4 किलो अल्प्राजोलम सप्लाई कर दिया था। जिसकी कीमत करोड़ों में है। दवा बनाने के लिए फाइव स्टेज रेसिपी तैयार की एसओजी एडीजी विशाल बंसल ने बताया कि आरोपी फार्मा कंपनियों में काम कर चुके हैं। ऐसे में इन्हें फार्मास्युटिकल प्रोसेस के बारे में पूरी टेक्निकल नॉलेज थी। आरोपियों ने दवा बनाने के लिए फाइव स्टेज रेसिपी तैयारी की। आरोपी रॉ मेटेरियल को प्रिक्योर करते थे। इसके बाद दवा का मिश्रण तैयार करते थे। उन्होंने बताया कि आमतौर पर ये काम आसान नहीं है क्योंकि इसमें टेम्परेचर मैंटेन करने के साथ ही उपकरण लाना और पूरे प्रोसेस करना आसान नहीं होता है। अल्प्राजोलम ज्यादा क्वांटिटी में एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रतिबंधित दवा है। अल्प्राजोलम एक प्रतिबंधित साइकोट्रोपिक सब्सटेंस है, जिसका दुरुपयोग नींद की गोलियों और नशीले पदार्थों में होता है। ड्रग डिपार्टमेंट को नहीं मिली जानकारी जांच में सामने आया कि आरोपियों ने इसी साल अप्रैल से लेकर नवंबर माह तक खैरथल-तिजारा के खुशखेड़ा में प्लांट लगाया था। इसके बाद भिवाड़ी में इसे शिफ्ट कर दिया। यहां तीन दिन पहले ही प्लांट शुरू हुआ था। मामले में चौंकाने वाली बात है कि 6 महीनों से तीनों आरोपी अवैध तौर पर प्लांट लगाकर नशीली दवाएं तैयार करते रहे, लेकिन ड्रग डिपार्टमेंट को इसकी भनक तक नहीं लगी। ये कंपनी न तो रजिस्टर्ड है और न ही दवा बनाने का लाइसेंस लिया था। बताया जा रहा है कि गुजरात के डीलरों के जरिए अलग-अलग राज्यों में सप्लाई की जा रही थी। एसओजी एडीजी विशाल बंसल ने बताया कि रॉ मटेरियल कहां से आता था और कहां सप्लाई होती थी इसको लेकर पूछताछ जारी है। उन्होंने बताया कि आरोपियों के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड को भी खंगाला जा रहा है। गुजरात एटीएस को मिली थी सूचना इस मामले में गुजरात ATS को गोपनीय सूचना मिली थी कि भिवाड़ी के कहरानी औद्योगिक क्षेत्र में संचालित APL फार्मा कंपनी में बिना लाइसेंस के अल्प्राजोलम का उत्पादन हो रहा है। सूचना पर रविवार दोपहर गुजरात ATS और जयपुर SOG की टीम भिवाड़ी पहुंची। स्थानीय UIT थाना पुलिस की मदद से फैक्ट्री पर छापा मारकर इसे कब्जे में लिया गया। जांच में मौके से करीब 4.850 किलोग्राम अल्प्राजोलम पाउडर और 17.250 किलोग्राम मिक्स पाउडर बरामद हुआ, जिसकी अनुमानित कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 60 करोड़ रुपए है। एफएसएल टीम के सैंपल लेने के बाद फैक्ट्री को सील कर दिया गया है। .... राजस्थान में ड्रग्स फैक्ट्री से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... पूर्व-सरपंच के भतीजे ने बनाई 100 करोड़ की ड्रग्स फैक्ट्री:10 किलो MD, केमिकल और मशीनें मिली; बोला- दोस्त ने 50 हजार किराए पर ली जगह महाराष्ट्र पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल (ANC) ने राजस्थान में MD ड्रग्स बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ी है। यह फैक्ट्री एक मुर्गी फार्म में लगाई गई थी। पूरी खबर पढ़िए...