बिजली कटौती से लोग परेशान:मेंटीनेंस का टॉर्चर, सुबह के 7 घंटे बिजली और पानी का इंतजार करता रहा आधा शहर
रविवार को छुट्टी का आधा दिन कैसे खराब कर सकते हैं, ये हुनर कोई बिजली विभाग से सीखे। रविवार सुबह 6 बजे से आधे शहर में लाइट काट दी गई। वजह वही रटी-रटाई भाषा—मेंटीनेंस। इस कारण आधा शहर 7 घंटे तक बिजली के साथ पानी के लिए भी तरसता रहा। दरअसल, ज्यादातर लोग रविवार के दिन ही अपने अधूरे काम पूरे करते हैं, मगर आंख खुलते ही अगर लाइट न हो तो इस सर्दी में पीने का पानी भी नसीब नहीं होता, क्योंकि पीएचईडी की सारी टंकियां बीकेसीईएल पर निर्भर हैं। लाइट न होने से पानी भी नहीं आया। खाना बनाओ तो मिक्सी नहीं चली। कपड़े इसलिए नहीं धुले गए, क्योंकि वाशिंग मशीन नहीं चली। जिनके घरों में इनवर्टर है, वहां लाइट तो मिल गई, मगर इससे ज्यादा देर ये उपकरण नहीं चलते। दोपहर एक बजे जब लाइट आई, तब उसके पीछे पानी आया। विद्युत प्रसारण निगम के कारण लोगों की असली दिनचर्या दोपहर एक बजे शुरू हुई। तमाम लोगों के प्लान धरे रह गए। काम अधूरे रहे, वो अलग। हैरानी की बात ये भी है कि शनिवार को जिन इलाकों में लाइट कटौती का ऐलान किया था, वहां तो कटौती थी ही, साथ ही वहां भी कटौती थी, जहां शुक्रवार को कटौती का ऐलान किया गया था। राहत सिर्फ इतनी थी कि सर्दी के दिन थे। लोग घरों में या धूप में रहे, मगर इस कटौती सिस्टम से पूरा शहर परेशान और गुस्से में रहा। सर्दी में कटौती का और भी समय हो सकता है, ताकि सुबह लोगों की दिनचर्या खराब न हो। सुबह से ही 7 घंटे तक बिजली कटौती से लोगों में गुस्सा रोज मेंटीनेंस के नाम पर कट रही लाइट, फिर भी 7 घंटे कटौती—मेंटीनेंस के नाम पर जिस तरह से लोगों को लाइट काटकर टॉर्चर किया जा रहा है, उससे अब लोगों में गुस्सा बढ़ने लगा है। ऐसा कोई दिन नहीं जब शहर में दो से चार घंटे तक लाइट कटौती न हो। शब्द एक ही—मेंटीनेंस। बावजूद इसके एक ही दिन में 7 घंटे की लाइट काटने की जरूरत महसूस हो रही है। हैरानी की बात ये है कि बीकेसीईएल के पास भी अभी तक ये जानकारी नहीं है कि उसने साल भर में कितने घंटे लाइट काटी, क्योंकि जिस दिन कोई सूचना के अधिकार के तहत ये जानकारी ले लेगा, उस दिन कंपनी की पोल खुल जाएगी। "बीकेसीईएल को विद्युत प्रसारण निगम से बिजली मिलती है। उनके ही सिस्टम का शटडाउन था। हमने तो अपने उपभोक्ताओं को एक दिन पहले ही बता दिया था। इसमें बीकेसीईएल का कोई लेना-देना नहीं।" -अशोक शर्मा, मीडिया कन्वीनर, बीकेसीईएल