देश के 81 जिलों में बाढ़:सूखे व बाढ़ प्रभाव वाले जिलों की ग्राम पंचायतें आपदा प्रबंधन में सक्षम बनाई जाएंगी, एक पंचायत मॉडल रूप में विकसित करेंगे
प्रदेश में सूखे और बाढ़ से प्रभावित होने वाली पंचायतों को केंद्र सरकार के सहयोग से आपदा प्रबंधन में सक्षम बनाया जाएगा। ताकि किसी भी प्रकार की आपदा आने पर पंचायतें खुद ही राहत दे सके। इनके अलावा कुछ पंचायतों को इस क्षेत्र में आदर्श पंचायतें बनाया जाएगा। ताकि उस मॉडल को आसपास की पंचायतें भी अपनाएं। केंद्र सरकार ने क्लस्टर-आधारित मॉडल ग्राम पंचायतों को विकसित करने के लिए पहल की है। इसका मकसद है कि आपदा के दौरान कम से कम नुकसान की स्थिति पैदा हो। इसमें जनसहभागिता भी होगी। पंचायती राज मंत्रालय ने क्लस्टर-आधारित मॉडल ग्राम पंचायतों को विकसित करने के लिए आपदा जोखिम कम करने को परियोजना शुरू की है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की भी भागीदारी होगी। फिलहाल 20 राज्यों के 81 आपदा जोखिम वाले जिलों में शुरू की जाएगी। प्रत्येक जिले में 20 ग्राम पंचायतें होंगी। इनके अलावा 20 ग्राम पंचायतों को स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। राजस्थान के भरतपुर, करौली, बारां, बाड़मेर, जालोर और अलवर जिले शामिल किए गए हैं। यहां की पंचायतों में जमीनी स्तर पर आपदा की तैयारी और विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा। ये मॉडल ग्राम पंचायतें आपदा योजना, संसाधन ढांचा, स्थानीय लोगों के साथ सामुदायिक तैयारी के रूप में कार्य करेंगी। योजना में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। ग्रामीणों के लिए भी जागरूकता के कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ताकि किसी तरह के आपदा में प्रभावी व्यवस्था की जा सके। पंचायती राज मंत्रालय आपदा प्रबंधन योजना को एकीकृत करने, बजट पर नज़र रखने और पंचायतों को वास्तविक समय की जानकारी देने के लिए ई-ग्राम स्वराज, ग्राम मानचित्र आदि सहित अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करेगा। जमीनी स्तर पर सरपंचों, कर्मचारियों, मास्टर प्रशिक्षकों और सामुदायिक स्वयंसेवकों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। हर राज्य छह संभावित जोखिम को करेगा शामिल 20 राज्यों में से प्रत्येक के लिए एक मॉडल ग्राम पंचायत होगी। राज्यों द्वारा विशेष रूप से छह अलग-अलग संभावित जोखिम के लिए 20 मॉडल ग्राम पंचायतों की पहचान की जाएगी। इसमें बाढ़, सूखा, भूकंप, चक्रवात व भूस्खलन शामिल है। इन पंचायतों में आपदा से बचने के लिए लंबे समय तक चलने वाले उपायों को प्रदर्शित भी किया जाएगा। चिन्हित 20 ग्राम पंचायतों के मॉडल को अलग-अलग राज्यों द्वारा बढ़ाया जा सकता है।