साधुवाली-भोमपुरा एनएच 911 पर 3 माह में 30+ हादसों में 5 मौतें, NHAI ने सिर्फ साइन बोर्ड लगाए
हिंदुमलकोट रोड स्थित तीन वाई आरओबी की और रायसिंहनगर श्रीविजयनगर रोड आरओबी पर सर्विस रोड का विकट मोड़ होने से विजिबिलिटी कम होने से दुर्घटना का खतरा रहता है। चार एच, गजसिंहपुर पदमपुर रोड, श्रीविजयनगर रोड आरओबी की सर्विस लाइन के स्पीड ब्रेकर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। एचपी भादू, रिटायर्ड एईएन। जेसी यादव, रिटायर्ड एईएन। केंद्रीय विद्यालय ब्लैक स्पॉट पर साइड रोड की चौड़ाई बढ़ाने व रैलिंग की गोलाई प्रोपर करने की जरूरत है। साइड में मौजूद सरकारी जमीन का इस्तेमाल किया जा सकता है। 12 टीके चौराहे पर अंडरपास बनाने के अलावा सर्विस रोड बनाकर रेलवे पुल का उपयोग किया जा सकता है। लिंक रोड्स का मेंिटनेंस कर सही जगह पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाने चाहिए। रोड सेफ्टी रिपोर्ट की सिफारिशों पर समयबद्ध कार्रवाई जरूरी है । रियलिटी चेक : अंडर पास और डिवाइडर बनाने की सिफारिश, साइन बोर्ड ही लगाए : प्रशासन ने केवी के समीप टी प्वाइंट पर ब्लैक स्पॉट को डिवाइडर बनाकर दो भागों में विभाजित करने और 12 टीके चौराहे पर भारत माला के नीचे अंडरपास बनाने की जरूरत बताई है। एनएचएआई और निर्माण एजेंसी मैसर्स वीआरएस एसआर हाइवे प्राइवेट लिमिटेड ने दोनों जगह चेतावनी के साइन बोर्ड लगा और मार्किंग कर ब्लैक स्पॉट हटाने की औपचारिकता की है। संदीपसिंह धामू| श्रीगंगानगर साधुवाली से भोमपुरा तक बने 102 किमी के हाइवे में 62 खामियां हैं। पिछले 3 माह में ही इस पर 30 से ज्यादा हादसे हो चुके। 5 लोगों की जानें तक जा चुकी हैं। इस हाइवे पर लगातार हो रहे हादसों के बीच भास्कर ने दो रिटायर्ड इंजीनियर्स के साथ दो दिन तक इस हाइवे की विजिट की। पड़ताल में सामने आया कि यह खामियों का हाइवे है। इसे छह माह पहले ही 700 करोड़ रुपए से बना बनाया था। यह भारत माला का हिस्सा है जो एनएच 911 है। प्र्रशासन ने भी इस पर रायसिंहनगर कस्बे के पास दो जगह पर ब्लैक स्पॉट घोषित कर रखे हैं। इन पर दो मौतें हो चुकी हैं जबकि तीन अन्य श्रीकरणपुर के आसपास हुई हैं। लापरवाही देखिए, खामियों को निकालने की बजाय एनएचएआई ने केवल साइन बोर्ड ही लगवाए हैं। एनएच पर 48 जगह लिंक रोड्स पर बिना तकनीकी मानदंडों को अपनाए हुए बनाए गए सिंगल स्पीड ब्रेकर मिले। 14 जगह अन्य कमियां मिलीं। वहीं आरओबी की सर्विस रोड के स्पीड ब्रेकर टूटे हैं। इसी से हादसे हो रहे हैं। दोनों एक्सपर्ट्स ने एनएच की कमियां चिन्हित की, जो हादसों की वजह बन रही हैं। पुष्पेंद्रसिंह राठौड़, , प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई Q. एनएच 911 पर छह महीने में ही ब्लैक स्पॉट बन गए। ऐसा क्यों? a. यहां कुछ प्वाइंट्स को दुर्घटना संभावित जगहों के तौर पर चिन्हित किया गया है। बचाव के लिए साइन बोर्ड व थर्मो प्लास्टिक मार्किंग की जा रही है। Q. लिंक रोड्स के स्पीड ब्रेकर भी ज्यादातर जगह सिंगल हैं, मापदंडों की पालना क्यों नहीं की? a. कुछ जगह ग्रामीणों ने स्पीड ब्रेकरों की वजह से ट्रैक्टर ट्रालियों का आवागमन प्रभावित होने का कहते हुए एतराज जताया था। कई जगह उन्होंने ब्रेकर तोड़ दिए हैं। हम उनको दुरुस्त करवा रहे हैं। Q. थोड़े समय पूर्व बने हाइवे पर इतनी कमियां क्यों है? समय पर ध्यान क्यों नहीं दिया? a. अभी तक सार संभाल की जिम्मेदार निर्माण एजेंसी की है। समय-समय पर होने वाली रोड सेफ्टी ऑडिट के आधार पर सुधार किया जा रहा है। ढलान बनी परेशानी: ढलान में वाहनों की स्पीड ज्यादा रहती है, लिंक रोड का लेवल नीचा: यहां गांव 12 टीके व अन्य ग्रामीण क्षेत्र को रायसिंहनगर से जोड़ने वाली लिंक रोड है। इससे 200 मीटर दूर रेलवे ओवरब्रिज की ढलान की वजह से यहां एनएच पर गुजरने वाले वाहनों की स्पीड ज्यादा रहती है। रायसिंहनगर की तरफ लिंक रोड का लेवल एनएच से नीचा होने से विजिबिलिटी प्रभावित होती है। लिंक रोड्स बाधा: एक ही स्पीड ब्रेकर, वह भी 1 से 10 मीटर दूर: एनएच से मिलने वाली ग्रामीण लिंक सड़कों पर 48 जगह सिंगल स्पीड ब्रेकर ही है। इंडियन रोड कांग्रेस के मानदंडों के अनुसार पहला स्पीड ब्रेकर मुख्य रोड से 15 मीटर दूर और दूसरा उससे पीछे होना चाहिए। ताकि रोड स्पीड के अनुसार लिंक रोड से आने वाले वाहन की स्पीड कम हो जाए। कोई स्पीड ब्रेकर एक तो कोई 10 मीटर दूर है। केवी के समीप: तंग रोड, रैलिंग की गोलाई ज्यादा होने से विजिबिलिटी नहीं : केंद्रीय विद्यालय रायसिंहनगर के समीप प्रशासन की ओर से चिन्हित इस ब्लैक स्पॉट पर एनएच को रायसिंहनगर से लिंक करने वाला पोर्शन तंग है। जिसकी चौड़ाई 13 मीटर है। डिवाइडर नहीं है। यहां रैलिंग की गोलाई ज्यादा होने से विजिबिलिटी कम रहती है।