ACP बोले- बच्चों के मोबाइल पर पेरेंट्स रखें नजर:पढ़ने की उम्र में हाईकोर्ट से ला रहे प्रोटेक्शन, राजपुरोहित सेवा न्यास का प्रतिभा सम्मान समारोह
राजपुरोहित सेवा न्यास,जोधपुर की ओर से समाज की प्रतिभाओं को शिक्षा के साथ संस्कारों से जोड़ने के उद्देश्य के लेकर प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन शनिवार को मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर पॉलिटेक्निकल कॉलेज परिसर में किया गया। इस समारोह में देशभर की 600 से अधिक प्रतिभाओं का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभाओं का मार्गदर्शन करने के लिए सरकारी सेवाओं में जुड़े हुए अधिकारियों ने मोटिवेशनल स्पीच दी। वहीं ब्रह्मधाम आसोतरा के वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाराम महाराज का पावन सानिध्य रहा। कार्यक्रम में ACP बोरानाडा आनंद सिंह राजपुरोहित ने आज के समय में समाज के बच्चो में मोबाइल से होने वाले दुष्प्रभावों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आजकल पेरेंट्स भी समय की जरूरत के हिसाब से बच्चों को मोबाइल, गैजेट्स आदि देते हैं, लेकिन कई बार उन्हीं के दुरुपयोग के मामले सामने आते हैं। पेरेंट्स को बच्चों के मोबाइल को चेक करना चाहिए कि वो सोशल मीडिया पर किस तरह के कंटेंट देख रहा है। पढ़ाई के साथ मोबाइल और IT फ्रेंडली होना पड़ेगा उन्होंने कहा कि आज के विद्यार्थियों के चैलेंज के रूप में सबसे ज्यादा पढ़ाई के साथ ही उन्हें मोबाइल और IT फ्रेंडली होना पड़ेगा, लेकिन आजकल मोबाइल में 50 प्रतिशत अच्छी बातें हैं तो 50 प्रतिशत खराब बातें भी हैं। इसमें पेरेंट्स की भूमिका को लेकर उन्होंने कहा कि बच्चों को आजकल मेटेरियल उपलब्ध करवाने के लिए ऑनलाइन क्लासेज के लिए मोबाइल जरूरी है, लेकिन मोबाइल पर मिलने वाली चीजों के दुष्परिणाम भी साथ-साथ चलते हैं। स्टूडेंट के लिए जरूरी है कि किस रूप में मोबाइल का यूज हो राजपुरोहित ने कहा कि आजकल स्टूडेंट के लिए जरूरी हो गया कि किस रूप में इसका यूज हो। आजकल 14 से 15 साल के बच्चे घर में मोबाइल को लॉक करके रखते हैं, जबकि घर में मोबाइल को लॉक करने की जरूरत ही नहीं रहती। आप उनके सोशल मीडिया अकाउंट को चेक करिए, उनका कंटेंट देखिए। ये छोटी-छोटी चीजें बच्चों को भटकाव से रोकेगी। बच्चों के मोबाइल में क्या संगत चल रही है, ये भी आपको वॉच करना पड़ेगा। पढ़ने की उम्र में हाईकोर्ट से ला रहे प्रोटेक्शन उन्होंने कहा कि आजकल बच्चे पढ़ने की उम्र में 18 से 19 साल के बच्चे हाईकोर्ट से प्रोटेक्शन लेकर पुलिस के पास आ जाते हैं और कहते हैं कि हमने शादी कर दी, लिव इन में रह रहे हैं। लेकिन सबसे ज्यादा दुखद स्थिति तब आती है, जब बच्चे के माता-पिता कहते हैं कि हमें 2 घंटे उनसे मिलने दे दो। माता-पिता रो रहे हैं, बच्चे ये बोल रहे हैं कि माता-पिता मर गए। क्या वो आपके पाले हुए बच्चे नहीं हैं। बच्चे रिपोर्ट देते हैं कि हमें अपने माता-पिता से खतरा ACP राजपुरोहित ने कहा कि ऐसे बच्चे हमें रिपोर्ट देते हैं कि हमें अपने माता-पिता से खतरा है और वह लाचार माता-पिता बेचारे रो रहे हैं। क्या इसमें बच्चों की गलती है या माता-पिता की। इसमें कहीं न कहीं हमारी गलती है। हम कमाने में लगे हुए हैं। हम सोचते हैं कि हमने जो नहीं किया वह उन्हें करने दे, उन्हें स्वतंत्र छोड़ देते हैं। लेकिन उसके पीछे जो रिजल्ट्स आ रहे हैं उसको गहराई से देखें तो बहुत विकट स्थिति है। इसके साथ उन्होंने पेरेंट्स को भी सलाह दी कि वह बच्चों से इतनी अपेक्षा नहीं रखें कि वह डिप्रेशन में आ जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों को वॉच करें। जब भी बाहर जाओ तो बच्चों को बताए। शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी कार्यक्रम में वेदांताचार्य डॉ.ध्यानाराम महाराज ने कहा कि शिक्षा बहुत जरूरी है, लेकिन शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी उतना ही जरूरी है। क्योंकि संस्कारों से ही हम दूसरे को दिशा दे सकते हैं। इस कलियुग में अभी हम शिक्षा के लिए बहुत प्रयास करते हैं। हम संस्कारों के लिए प्रयास तो कर रहे हैं, लेकिन दूसरों के लिए कर रहे हैं। खुद के लिए कम कर रहे हैं। आज हमें संस्कारित बेटी-बहू तो चाहिए, लेकिन हम अपने घर से इसकी शुरुआत करेंगे तो बदलाव होगा। कलियुग का प्रभाव हटाएगा 'राम' नाम वेदांताचार्य ने कहा कि परिवार में कलियुग का प्रभाव हटाने के लिए शस्त्र 'राम' नाम है। रोज आधे घंटे बैठकर परिवार के साथ कीर्तन शुरू हो जाए तो आपके घर में कभी कलियुग की छाया पड़ ही नहीं सकती। जो घरों में झगड़ा हो रहा है, भाई-भाई टूट रहे हैं, उसका प्रभाव तभी छूटेगा जब हमारे घरों में राम का कीर्तन, रामायण का गान होगा। जब तक ये नहीं होगा तब तक संसार का कोई भी व्यक्ति आपकों समस्याओं से बाहर नहीं निकाल सकता। धर्म और संस्कृति, संस्कारों से नहीं जुड़ेगा तो हमारी डिग्री, योग्यता जीवन के लिए शून्य उन्होंने प्रतिभाओं की सराहना करते हुए कहा कि उनकी दृष्टि एकदम विशुद्ध होगी, धर्म और संस्कृति, संस्कारों से नहीं जुड़ेगा तो हमारी डिग्री, योग्यता जीवन के लिए शून्य है। विद्वान तो रावण भी था, सभी वेदों का ज्ञान था वो विद्यावान था, लेकिन इतना होना काफी नहीं। जिसके साथ गुणी होना, चतुर होना वो भगवान और गुरु की कृपा के बगैर नहीं हो सकता। गुरु की बात का करें अनुसरण महाराज ने कहा कि आजकल गुरु तो हर कोई बनाता है। लेकिन यदि हम गुरु की बातों को अपने जीवन में नहीं उतारेंगे, प्रभु की वाणी को अपने चरित्र में नहीं उतारेंगे तो बदलाव नहीं आएगा। इसलिए सबसे बड़ा प्रतिभा का निर्माण कैसे हो, उस पर विचार-चिंतन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए गुरुकुलों की पुनर्स्थापना होनी चाहिए। आजकल बालिका शिक्षा बेहद जरूरी कार्यक्रम में महिला शक्ति के तौर पर विशिष्ट अतिथि RTS सुश्री डॉ. भावना पिलौवनी ने कहा कि आजकल बालिका शिक्षा बेहद जरूरी है, लेकिन सफलता तभी मिलेगी जब एक मजबूत लक्ष्य के साथ कदम आगे बढ़ाए जाए। इन्होंने भी किया संबोधित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ADM सुरेंद्र सिंह पुनायता, डॉ. सज्जन सिंह बासनी मनना ने भी संबोधित किया। न्यास अध्यक्ष महेंद्र सिंह तिंवरी ने बताया कि कार्यक्रम में राजपुरोहित समाज के भामाशाहों का भी सम्मान किया गया। जिसमें डूंगर सिंह राजपुरोहित चामुंडा, शेर सिंह बिकरलाई, पृथ्वी सिंह धांगड़वास, प्रेम सिंह नारवा, प्रेम सिंह बासनी राजगुरु, नाथु सिंह खाराबेरा आदि का सम्मान किया गया। ये रहे उपस्थित कार्यक्रम में न्यास के मार्गदर्शक और संरक्षक करन सिंह रास, गोपाल सिंह ढढोरा, महेंद्र सिंह खींचन, छैल सिंह बासनी मनना, रावल सिंह झाबरा, शैतान सिंह चाड़वास, गणपत सिंह कनोड़िया, डॉ.दिलीप सिंह धीरदेसर, दिनेश सिंह सीनिया, शेर सिंह कागनाडा, पदम सिंह ढाबर, सज्जन सिंह रुदिया, राजेंद्र सिंह पुनाड़िया सहित चैन सिंह भाटेलाई, हनुमान सिंह झाबरा, सुमेर सिंह बीस्सु, थान सिंह डोली, राजेंद्र सिंह लुणावास, अरविंद सिंह धुंधियाड़ी समेत कई गणमान्य मौजूद रहे। कार्यक्रम का मंच संचालन चंदन सिंह और महेंद्र सिंह खींचन ने किया।