फील्ड ड्यूटी के साथ BLO को पढ़ाना भी होगा:शिक्षा सचिव ने कलेक्टरों को भेजा लेटर, सिलेबस कम नहीं कर रहा विभाग
राजस्थान में शैक्षणिक सत्र को 1 जुलाई से हटाकर 1 अप्रैल से शुरू करने के फैसले के पीछे शिक्षा विभाग खुद यह स्वीकार कर रहा है कि विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बावजूद इसके, विभाग ने न तो पाठ्यक्रम में किसी तरह की कटौती की है और न ही छात्रों पर बढ़ते शैक्षणिक दबाव को कम करने का कोई ठोस कदम उठाया है। अब प्रदेशभर में बीएलओ के रूप में काम कर रहे टीचर्स को आदेश दिया गया है कि वो आधी ड्यूटी स्कूल में देकर बच्चों का कोर्स पूरा करवाएं। शासन सचिव कृष्ण कुणाल की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि सत्र परिवर्तन के कारण विद्यालयों में 20 से 22 दिनों का शैक्षणिक नुकसान हुआ है और शिक्षण दिवस कम हुए हैं। इसके बाद भी विभाग ने पूरे पाठ्यक्रम को तय समय में पूरा कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं। छात्रों की भरपाई या शिक्षकों पर बोझ शिक्षा विभाग का समाधान यह है कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) के रूप में चुनावी दायित्व निभा रहे शिक्षक आधे दिन अनिवार्य रूप से स्कूल में उपस्थित रहें और पाठ्यक्रम समय पर पूरा कराएं। इसके बाद भी सरकारी स्कूल में पाठ्यक्रम पूरा होगा, इस पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। चुनावी ड्यूटी भी, पढ़ाने की जिम्मेदारी भी बीएलओ शिक्षक पहले से ही मतदाता सूची पुनरीक्षण और चुनावी कार्यों में लगे रहते हैं। अब उनसे अपेक्षा की जा रही है कि वे आधे दिन स्कूल में रहकर पढ़ाई भी संभालें। इस आदेश के बाद ग्रामीण क्षेत्र में काम कर रहे टीचर्स के लिए ज्यादा समस्या है क्योंकि वो दूर गांव से वापस स्कूल तक कैसे पहुंचेंगे? कोर्स वही, समय कम, दबाव छात्रों पर पूरे पाठ्यक्रम को कम समय में पूरा करने का सीधा असर विद्यार्थियों पर पड़ेगा। विभाग ने आदेश में ये भी स्वीकार किया है कि पीरियड नहीं लगने के कारण कोर्स पूरा नहीं हो पाया। अब जब एग्जाम में महज सवा महीना शेष रह गया है, ऐसे में सिलेबस कैसे पूरा होगा। इसमें भी सर्दी की छुट्टियां अभी चल रही है और तेज सर्दी पड़ी तो फिर छुट्टियां हो जाएगी।
राजस्थान में शैक्षणिक सत्र को 1 जुलाई से हटाकर 1 अप्रैल से शुरू करने के फैसले के पीछे शिक्षा विभाग खुद यह स्वीकार कर रहा है कि विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बावजूद इसके, विभाग ने न तो पाठ्यक्रम में किसी तरह की कटौती की है और न ही छात्रों पर बढ़ते शैक्षणिक दबाव को कम करने का कोई ठोस कदम उठाया है। अब प्रदेशभर में बीएलओ के रूप में काम कर रहे टीचर्स को आदेश दिया गया है कि वो आधी ड्यूटी स्कूल में देकर बच्चों का कोर्स पुरा करवाएं। शासन सचिव कृष्ण कुणाल की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि सत्र परिवर्तन के कारण विद्यालयों में 20 से 22 दिनों का शैक्षणिक नुकसान हुआ है और शिक्षण दिवस कम हुए हैं। इसके बाद भी विभाग ने पूरे पाठ्यक्रम को तय समय में पूरा कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं। छात्रों की भरपाई या शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ?