चंडीगढ़ का करोड़पति रामलाल आय से अधिक संपत्ति के केस में ED की चार्जशीट के बाद सुर्खियों में आ गया। राजस्थान के सीकर से आकर चंडीगढ़ की झुग्गी बस्ती में रहने वाला रामलाल ने 150 करोड़ की प्रॉपर्टी बना ली। पुलिस अफसरों से ऐसे लिंक बनाए कि उसके एक फोन पर DSP
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फाइनेंस से लेकर प्रॉपर्टी डीलिंग में उसने ऐसा हाथ आजमाया कि करोड़ों रुपए की संपत्ति खड़ी करता चला गया। ऑडी और मर्सिडीज से आने-जाने लगा। हालांकि उसके हौसले इतने बढ़ गए कि उसने चंडीगढ़ के पूर्व होम सेक्रेटरी के भाई को झूठे रेप केस में फंसा दिया। जिस युवती ने रेप की कंप्लेंट की, उसे रामलाल ने ही तैयार किया था। इसी केस में पहली बार वह पुलिस के हत्थे चढ़ा।
हालांकि इसके बाद भी उसका केस ठंडा पड़ गया। मगर, फिर चंडीगढ़ के SSP बनकर आए IPS अफसर कुलदीप चहल ने उसकी फिर से इन्क्वायरी खुलवा दी। जिसके बाद उसकी करोड़ों की संपत्ति सुर्खियों में आई। फिर ED की इस मामले में एंट्री हुई।
झुग्गी वाला कैसे बना करोड़पति और फिर कैसे एक-एक करके क्राइम करता गया, चंडीगढ़ पुलिस की जांच और ED की चार्जशीट के हवाले से पढ़िए इसकी पूरी रिपोर्ट...

रामलाल को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस। - फाइल फोटो
रामलाल फर्श से अर्श तक कैसे गया...
- राजस्थान से एक बैग लेकर चंडीगढ़ आया: रामलाल मूल रूप से राजस्थान के सीकर जिले का रहने वाला है। गांव में पले-बढ़े रामलाल के सपने बड़े थे। इसलिए वह गांव से बाहर निकलना चाहता था। उसका भाई भवर सिंह चंडीगढ़ स्थित 3BRD एयरफोर्स स्टेशन में फायर ब्रिगेड में काम करता था। 19 साल की उम्र में 1976 में रामलाल राजस्थान से एक बैग लेकर चंडीगढ़ आ गया। उसने सिर्फ तीसरी क्लास तक ही पढ़ाई की थी।
- झुग्गियों में रहने लगा, नेताओं से कनेक्शन बनाए: चंडीगढ़ में ढंग के घर में रहने के लिए रुपए नहीं थे। इसलिए राम दरबार की करसन कॉलोनी की झुग्गियों में रहने लगा। खाने-पीने के इंतजाम के लिए वह फल-फ्रूट की रेहड़ी लगाकर गुजारा करने लगा। हालांकि रामलाल यहीं तक रुकने के लिए नहीं आया था। उसने रेहड़ी पर फल-फ्रूट खरीदने आने वाले बड़े लोगों से पहचान बनानी शुरू कर दी। खासकर, लोकल नेताओं और अफसरों से वह ज्यादा संपर्क बढ़ाने लगा।
- झुग्गी हटाई गई तो रामलाल को पक्का मकान मिल गया: पुलिस सोर्सेज से यह भी पता चला कि वह नेताओं से संपर्क की बदौलत झुग्गियों डलवाने तक का काम करने लगा। बाहर से जो भी आता, उसे बिना किसी परेशानी के झुग्गी डलवाने के बदले वह रुपए ले लेता था। 1996 में करसन कॉलोनी की झुग्गियों को हटा दिया गया। यहां रहने वाले लोगों को सेक्टर 52 में पक्के मकान अलॉट कर दिए गए। जिन्हें मकान मिले, उनमें रामलाल भी शामिल था। वह भी इस घर में शिफ्ट हो गया। मगर, उसने नेताओं-अफसरों से नजदीकियां बनानी नहीं छोड़ी।
- नेताओं पर पकड़ से राशन डिपो मिला, फाइनेंस का काम शुरू किया: जैसे ही रामलाल की नेताओं पर पकड़ बनती गई तो उसका काम भी बढ़ने लगा। रेहड़ी लगाने वाले रामलाल को सेक्टर 47 में राशन डिपो मिल गया। इसके पीछे की वजह यही रही कि लोकल नेताओं ने उसकी सिफारिश की। राशन डिपो से कमाई अच्छी होने लगी तो उसने फाइनेंस का काम शुरू कर दिया। पहले छोटे कर्जे देते-देते बतौर फाइनेंसर उसकी पहचान बढ़ने लगी। फिर प्रॉपर्टी डीलिंग का भी काम शुरू कर दिया।
- फाइनेंस से किस्मत चमकी, कई कारोबार शुरू किए: पुलिस सूत्रों के मुताबिक उसकी असली किस्मत फाइनेंस के काम से ही चमकी। फाइनेंसर होने की वजह से उसकी पहचान बड़े पुलिस अधिकारियों, कारोबारियों और नेताओं तक होने लगी। वह इनकी छोटी-बड़ी जरूरतें भी पूरी करने लगा। इससे उसकी पकड़ बढ़ती गई और वह अपना कारोबार बढ़ाता गया। उसने बिल्डिंग मैटीरियल की सप्लाई का काम शुरू कर दिया। चंडीगढ़ और आसपास के बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्टों से जुड़ गया। यहां तक कि उसने पंजाब के संगरूर में भी ईंटों की सप्लाई का काम चालू कर दिया।
- चंडीगढ़ में आलीशान कोठी खरीदी: यह भी सामने आया कि कारोबार बढ़ने के साथ रामलाल की कमाई भी बढ़ती गई। अपने सोशल सर्किल में और बड़े अफसरों-नेताओं और कारोबारियों से जुड़ने की चाह में उसने चंडीगढ़ के सेक्टर 46 में एक आलीशान कोठी खरीदी और उसमें शिफ्ट हो गया। झुग्गी से निकलकर कोठी तक पहुंचने पर वह खूब सुर्खियों में रहा।

ED की कार्रवाई के दौरान उसके घर से बरामद हुई ऑडी कार।
रामलाल अर्श से फर्श पर कैसे आया...
- क्राइम की दुनिया में एंट्री, हत्या का केस हुआ, FIR रद्द हो गई: रामलाल के पास पैसा, अफसरों से नजदीकी और नेताओं का सपोर्ट आया तो उसकी क्राइम की दुनिया में एंट्री की खबरें आने लगी। उस पर पहला केस 26 जुलाई 2000 को सेक्टर-39 थाने में दर्ज हुआ। जिसमें हत्या के प्रयास समेत अन्य धाराएं लगीं। हालांकि 2001 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एफआईआर को रद्द कर दिया।
- पहली बार गिरफ्तारी हुई लेकिन बरी हो गया: इसके बाद 15 अगस्त 2002 को उस पर सेक्टर-34 थाने में रेप, साजिश समेत अन्य धाराएं का केस दर्ज हुआ। यही वह केस था, जिसमें उस पर पूर्व होम सेक्रेटरी को फंसाने के आरोप लगे। इसके बाद 2002 में उसकी पहली गिरफ्तारी हुई। उस समय थाने के प्रभारी मनीराम ने कहा था कि पूरी साजिश रामलाल द्वारा रची गई थी। हालांकि मार्च 2014 में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।
- महिला के मर्डर केस में गिरफ्तार हुआ, इसमें भी बरी: अक्टूबर 2014 में, रामलाल, उसकी बेटी और एक अन्य व्यक्ति को एक महिला की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया। वह महिला रामलाल के बेटे के साथ रह रही थी। हालांकि मार्च 2016 में सभी को बरी कर दिया गया।
- कई केस दर्ज होते रहे: इसके बाद भी उस पर केस दर्ज होते गए। 22 मार्च 2005 को पंचकूला सेक्टर-9 में एनडीपीएस एक्ट, 3 सितंबर 2008 को मोहाली के सोहाना धोखाधड़ी और गबन, 31 अक्टूबर 2008 को मनीमाजरा थाने में चोरी का केस दर्ज हुआ।17 अक्टूबर 2014 को सेक्टर-34 थाने में हत्या, सबूत मिटाने और साजिश का केस दर्ज हुआ।
- गुरुग्राम के कारोबारी से 5 करोड़ ठगे: 4 साल पहले रामलाल का नाम गुरुग्राम के कारोबारी अतुल्य शर्मा से 5 करोड़ रुपए की ठगी के केस में सामने आया। कारोबारी अतुल्य का कहना था कि रामलाल ने निवेश के नाम पर 5 करोड़ रुपए लिए और बाद में रकम लौटाने से इनकार कर दिया। कारोबारी का कहना था कि उसने मुंबई स्थित घर, गहने बेचकर और लोन लेकर यह रकम दी थी। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था।
- रेवाड़ी के रिटायर्ड अफसर से 6 करोड़ ठगे: इसके बाद रामलाल पर धोखाधड़ी का एक और केस दर्ज हुआ। यह शिकायत रेवाड़ी के एक रिटायर्ड अधिकारी की थी। अधिकारी का कहना था कि विजिलेंस से जुड़े एक केस में उसे राहत दिलाने के नाम पर रामलाल ने 6 करोड़ रुपए ले लिए लेकिन उसकी कोई मदद नहीं की। रामलाल ने उसके 6 करोड़ रुपए हड़प लिए।
- रामलाल केस में ED की एंट्री हुई: इन मामलों के उजागर होने के बाद रामलाल की करोड़ों की प्रॉपर्टी का मुद्दा उछला। जिसके बाद रामलाल के केस में ED की एंट्री हुई। ED ने रामलाल और उसके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू कर दी। करीब 3 साल चली जांच के बाद ED ने उसके खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी।

ED की कार्रवाई के दौरान रामलाल की कोठी से मिली लग्जरी कार।
राजनीति में हाथ आजमाया, कामयाबी नहीं मिली रामलाल ने खुद भी नेता बनने की कोशिश की और चंडीगढ़ की लोकल पॉलिटिक्स में हाथ आजमाया। रामलाल ने चंडीगढ़ विकास मंच के टिकट पर मौली जागरां से 2006 के नगर परिषद का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया। यह पार्टी हरमोहन धवन की थी। इसके बाद रामलाल ने राम दरबार सीट से फिर चुनाव लड़ा, वहां भी सफलता नहीं मिली। चुनावी हार के बाद उसने राजनीति से दूरी बना ली और पूरी तरह प्रॉपर्टी व फाइनेंस के काम पर ध्यान देना शुरू कर दिया।
ED की चार्जशीट फाइल अब सुनवाई 6 फरवरी ED ने रामलाल और उसके बेटे अमित कुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चंडीगढ़ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। जिसके बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों को पेश होने के लिए नोटिस जारी कर दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी। ED ने 2 फ्रॉड केस में नाम आने के बाद करीब 3 साल तक उसकी प्रॉपर्टी की जांच की। जिसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार्जशीट दाखिल की है।