वन्यजीवों की सुरक्षा खतरे में:एयरपोर्ट के लिए ब्लास्टिंग को वन विभाग ने NOC नहीं दी, फिर भी कलेक्टर की स्वीकृति
कोटा-बूंदी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का काम करवा रही फर्म के लिए बूंदी जिला प्रशासन ने नियम तोड़ते हुए वन्यजीवों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया। जिला प्रशासन ने रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व से 0 किलोमीटर पर स्थित बफर क्षेत्र में केसीसी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड को ब्लास्टिंग करने की अनुमति दे दी। जबकि वन विभाग ने इसकी स्वीकृति अभी तक नहीं दी है। इसी रिजर्व क्षेत्र में पेंच से लाई गई बाघिन 22 दिसंबर काे शिफ्ट की गई है। भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि बूंदी वन विभाग ने ब्लास्टिंग के मामले में गंभीर तकनीकी सवाल (टाइगर रिजर्व की असुरक्षा और केंद्र की अनुमति का अभाव) बताकर 1-2 दिसंबर 2025 को आपत्ति की थी। स्थानीय अधिकारियों ने मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगा था। जिला प्रशासन ने उन सवालों का जवाब मिलने का इंतजार किए बिना 9 दिन बाद ही 11 दिसंबर को ब्लास्टिंग के लिए अनुमति जारी कर दी। ब्लास्टिंग वन विभाग की जमीन पर तुलसी केथूदा, देवरिया, बालापुरा गांव में होनी है। एक्सपर्ट के अनुसार ब्लास्टिंग से जो ध्वनि, कंपन पैदा होती है, वह वन्यजीव व्यवहार को प्रभावित करती है। वन विभाग- एयरपोर्ट टाइगर रिजर्व के समीप, वन मंत्रालय के पत्र में ब्लास्टिंग का जिक्र नहीं "ब्लास्टिंग की स्वीकृति अभी नहीं दी है। अधिकारियों से भी मार्गदर्शन मांगा था, जिसका जवाब नहीं आया है।" -डॉ. एएन गुप्ता, उप वन संरक्षक, बूंदी "वन विभाग की एनओसी अनिवार्य नहीं है। कंट्रोल ब्लास्टिंग की अनुमति दी है।" -अक्षय गोदारा, कलेक्टर, बूंदी
कोटा-बूंदी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का काम करवा रही फर्म के लिए बूंदी जिला प्रशासन ने नियम तोड़ते हुए वन्यजीवों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया। जिला प्रशासन ने रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व से 0 किलोमीटर पर स्थित बफर क्षेत्र में केसीसी बिल्डकॉन प्राइवेट लिम
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भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि बूंदी वन विभाग ने ब्लास्टिंग के मामले में गंभीर तकनीकी सवाल (टाइगर रिजर्व की असुरक्षा और केंद्र की अनुमति का अभाव) बताकर 1-2 दिसंबर 2025 को आपत्ति की थी। स्थानीय अधिकारियों ने मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगा था। जिला प्रशासन ने उन सवालों का जवाब मिलने का इंतजार किए बिना 9 दिन बाद ही 11 दिसंबर को ब्लास्टिंग के लिए अनुमति जारी कर दी। ब्लास्टिंग वन विभाग की जमीन पर तुलसी केथूदा, देवरिया, बालापुरा गांव में होनी है। एक्सपर्ट के अनुसार ब्लास्टिंग से जो ध्वनि, कंपन पैदा होती है, वह वन्यजीव व्यवहार को प्रभावित करती है।