RSS सह-सरकार्यवाह ने अधिवक्ता सम्मेलन में दी राष्ट्रभक्ति की सीख:कहा-संविधान राष्ट्र की सामूहिक चेतना का प्रतिबिंब, न्यायिक नियुक्तियों में तेजी लाने का प्रस्ताव पारित
अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के तीन दिवसीय 17वें राष्ट्रीय अधिवेशन का रविवार को समापन हुआ। इसे संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि भारत का संविधान केवल विधि विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह भारत की सामूहिक चेतना, ऐतिहासिक अनुभवों, सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्रीय संकल्पों का जीवंत प्रतिबिंब है। बालोतरा-नाकोड़ा स्थित लालबाग रिसॉर्ट में आयोजित समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए अरुण कुमार ने कहा कि संविधान के 75 वर्ष पूर्ण होना राष्ट्र के लिए आत्मावलोकन और आत्ममंथन का अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है। समापन सत्र से पूर्व देश में न्याय व्यवस्था को मजबूत करने और समयबद्ध न्यायिक नियुक्तियों के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। राष्ट्र प्रथम होना चाहिए मूल मंत्र अरुण कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मूल उद्देश्य आरंभ से ही व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण रहा है। हर नागरिक के भीतर विशुद्ध राष्ट्रभक्ति का भाव होना चाहिए और सच्चा देशभक्त वही है, जिसके जीवन का मूल मंत्र "राष्ट्र प्रथम" हो। स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने में लगभग एक हजार वर्षों का लंबा संघर्ष करना पड़ा। इसके लिए केवल बाहरी शक्तियों या परिस्थितियों को दोष देने के बजाय हमें आत्मावलोकन करना चाहिए, क्योंकि कहीं न कहीं कमियां हमारे भीतर भी रही हैं। आत्ममंथन से ही राष्ट्र का वैचारिक, सामाजिक और नैतिक पुनर्निर्माण संभव है। सिलेक्टिव PIL समाज में विभाजन पैदा करती हैं कांस्टीट्यूशनल मोरालिटी (संवैधानिक नैतिकता) और सिलेक्टिव पीआईएल की प्रवृत्तियों पर टिप्पणी करते हुए अरुण कुमार ने कहा कि इनका दुरुपयोग सशक्त सामाजिक ढांचे को कमजोर करने और समाज में विभाजन उत्पन्न करने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रियाओं में संतुलन, संवेदनशीलता और राष्ट्रहित का तालमेल अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद न्यायिक क्षेत्र में राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखकर कार्य कर रही है। परिषद से जुड़े सभी अधिवक्ताओं का एक ही उद्देश्य है, "राष्ट्र सर्वोपरि"। अधिवक्ताओं की भूमिका केवल न्यायालयों तक सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज को दिशा देने और राष्ट्रीय चेतना को सुदृढ़ करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत कोई नया राष्ट्र नहीं है, बल्कि यह हजारों वर्षों से चली आ रही एक सतत, जीवंत और समृद्ध सभ्यता की निरंतर यात्रा का नाम है। न्यायिक नियुक्तियों में तेजी लाने का प्रस्ताव समापन सत्र से पूर्व राष्ट्रीय स्तर पर न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। देशभर से आए प्रतिभागियों ने अपने सुझाव दिए और इसके आधार पर देश में न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक निश्चित समय-सीमा या डेडलाइन के भीतर न्यायिक नियुक्तियों की आवश्यकता महसूस की गई। प्रस्ताव में उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की भारी कमी और नियुक्तियों में देरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई एवं न्यायालयों में खाली पद भरने के लिए केंद्र व राज्य सरकार तथा अन्य उचित माध्यमों से मांग उठाने का निर्णय किया गया। प्रस्ताव में चिंता व्यक्त की गई कि न्यायालयों में पेंडिंग मामलों के कारण आम नागरिक, विशेषकर गरीब व वंचित वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। यह स्थिति न्याय तक पहुंच के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत त्वरित न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद का मत है कि न्यायिक पदों को समय पर न भरना संस्थागत दक्षता को कमजोर करता है, कानून के शासन को नुकसान पहुंचाता है और न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता को खतरे में डालता है। राष्ट्रभक्ति गीत ने किया माहौल भावुक समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. श्रीनिवास मूर्ति, उत्तर क्षेत्रीय राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीहरि राव बोरिकर तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मीरा ताई खड़क्कर मंचासीन रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में हिमाचल प्रदेश के युवा अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत एकल गीत "तन समर्पित मन समर्पित" ने पूरे वातावरण को राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कर दिया। आयोजन समिति की ओर से मुख्य वक्ता अरुण कुमार का शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति-चिह्न भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन चरण सिंह त्यागी ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम, जोधपुर के सह प्रांत प्रचारक राजेश, बाड़मेर विभाग संघ चालक मनोहर, विभाग प्रचारक जगदीश, जोधपुर विभाग कार्यवाह मनोहर सिंह तथा क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख श्रीवर्धन उपस्थित रहे। कार्यक्रम में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आर. राजेंद्रन एवं सत्यप्रकाश, राष्ट्रीय सचिव विक्रम दुबे, रणवीर सिंह खड़काली, जोधपुर प्रांत अध्यक्ष सुनील जोशी, प्रांत महामंत्री श्याम पालीवाल, अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार एवं श्याम लादरेचा, ज़ोनल सेक्रेटरी कमल परसवाल, कोषाध्यक्ष कमलेश रावल, जोधपुर महानगर के मुकेश रावल, देवेंद्र खत्री, महानगर महामंत्री देवकीनन्दन व्यास सहित देशभर से आए अनेक वरिष्ठ अधिवक्ता उपस्थित रहे।